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वाक्य अशुद्धियॉ

वाक्य-शुद्धि (Sentence-Correction) उच्चारण और वर्तनी की परिभाषा उच्चारण- मुख से अक्षरों को बोलना उच्चारण कहलाता है। सभी वर्णो के लिए मुख में उच्चारण स्थान होते हैं। यदि वर्णों का उच्चारण शुद्ध न किया जाए, तो लिखने में भी अशुद्धियाँ हो जाती हैं, क्योंकि हिंदी एक वैज्ञानिक भाषा है। इसे जैसा बोला जाता है, वैसा ही लिखा भी जाता है। वर्तनी- लिखने की रीति को वर्तनी या अक्षरी कहते हैं। यह हिज्जे (Spelling) भी कहलाती है। किसी भी भाषा की समस्त ध्वनियों को सही ढंग से उच्चरित करने के लिए ही वर्तनी की एकरूपता स्थिर की जाती है। जिस भाषा की वर्तनी में अपनी भाषा के साथ अन्य भाषाओं की ध्वनियों को ग्रहण करने की जितनी अधिक शक्ति होगी, उस भाषा की वर्तनी उतनी ही समर्थ समझी जायेगी। अतः वर्तनी का सीधा सम्बन्ध भाषागत ध्वनियों के उच्चारण से है। भारत सरकार के शिक्षा मन्त्रालय की 'वर्तनी समिति' ने 1962 में जो उपयोगी और सर्वमान्य निर्णय किये, वे निम्रलिखित हैं- (1) हिन्दी के विभक्ति-चिह्न, सर्वनामों को छोड़ शेष सभी प्रसंगों में, शब्दों से अलग लिखे जाएँ। जैसे- मोहन ने कहा; स्त्

हिन्दी भाषा का विकास

Hindi Language - हिन्दी भाषा हिन्दी भाषा का विकास 'हिंदी' विश्व की लगभग 3,000 भाषाओं में से एक है। आकृति या रूप के आधार पर हिन्दी वियोगात्मक या विश्लिष्ट भाषा है। भाषा-परिवार के आधार पर हिन्दी भारोपीय (Indo-European) परिवार की भाषा है। भारत में 4 भाषा-परिवार- भारोपीय, द्रविड़, आस्ट्रिक व चीनी-तिब्बती मिलते हैं। भारत में बोलनेवालों के प्रतिशत के आधार पर भारोपीय परिवार सबसे बड़ा भाषा-परिवार है। भाषा-परिवार भारत में बोलनेवालों का % भारोपीय 73% द्रविड़ 25% आस्ट्रिक 1.3% चीनी-तिब्बती 0.7% हिन्दी, भारोपीय/भारत-यूरोपीय के भारतीय-ईरानी (Indo-Iranian) शाखा के भारतीय आर्य (Indo-Aryan) उपशाखा की एक भाषा है। भारतीय आर्यभाषा (भा. आ.) को तीन कालों में विभक्त किया जाता है। नाम प्रयोग काल उदाहरण प्राचीन भारतीय आर्यभाषा (प्रा. भा. आ.) 1500 ई० पू० - 500 ई० पू० वैदिक संस्कृत व लौकिक संस्कृत मध्यकालीन भारतीय आर्यभाषा (म. भा. आ.) 500 ई० पू - 1000 ई० पालि, प्राकृत, अपभ्रंश आधुनिक भारतीय आर्यभाषा (आ. भा. आ.) 1000 ई० - अब तक हिन्दी